"class" "div".
"div" "class"=’post-footer-line post-footer-line-1′>
रक्षाबंधन त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएं,बधाईयां    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं     श्री डेयरी वाला बालाजी मन्दिर के पूर्व पुजारी की पुण्य तिथि पर मूर्ति स्थापना,बगड़    ले ल्यो पट्टी बरतो पढ़णों जरूर है,लक्ष्य का स्कूल    उत्तराखण्ड के कैदारनाथ मन्दिर में फंसे हैं बगड़ के लोग,उन्हे बचायें     सांझ से पहल्या मुछ्यां क मरोङी मार गली के कुत्ते फाङ ले     पैल्या लावणी करस्या,सगळी कुड़गी मालीगांव    ये कैसा मेरे देश का दुर्भाग्य ?? 18 या 16 ??    विद्वान् जन से एक सवाल ?    सभी देसवासियों को वेलेन्टाईन डे की बधाईयां    किसानों की उम्मीद, फसलें लहलाई,मालीगांव,    राजस्थान में बढ़ाई बगड़ नगर की शान,पहचान,मुकेश दाधीच    64वां गणतंत्र दिवस (जय हिन्द, जय हिन्द)    विदेशी सैलानियो के संग मकर संक्रांति की मस्ती,बगड़    पतंग उड़ा रे छौरा पतंग उड़ा , लक्ष्य,मालीगांव    ड ड ड ड ड बावलिया बाबा की संदेश यात्रा,बगड़    ये लो फिर एक नया वर्ष हो मुबारक    इस शताब्दी(सदी) के 12 12 12 को सलाम    दीपावली के कुछ खूबसूरत जगमगाते नजारे,बगड़    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं     धन-तेरस मार्केट सजावट और खरीदारी,बगड़    नवरात्रा प्रारम्भ, घर-घर व मन्दिरों में घट स्थापना,बगड़    कटरा से मां वैष्णो देवी के दरबार तक    वाघा (बाघा) बार्डर परेड,अमृतसर    अमृतसर, स्वर्ण मंदिर दर्शन    घुमंत् फिरत चलो मां वैष्णो देवी के दरबार    अन्दाज अपना-अपना (मानव जाति के शौकीन आधुनिक पूर्वज)    ईद मुबारक-ईद मुबारक    स्वतंत्रता दिवस और भारत देश ??? स्वतंत्रता ???    छोटो सो प्यारो सो म्हारो मदन-गोपाल,जन्माष्टमी     फिर लौटकर आयी किसानो की उम्मीद बारिश,बगड़    रक्षाबंधन की हार्दिक बधाईयां    मायड़ भाषा राजस्थानी री शान बढ़ावण हाळा ब्लॉग    सावन की पहली झमाझम मानसूनी वर्षा    रोज सुबह की मस्ती खरगोश के बच्चों के साथ, लक्ष्य    बगड़ के कुछ धार्मिक, शैक्षिक, दर्शनीय स्थल    चलायें अपनी मर्जी से अपने कम्प्यूटर की विन्डोज    बालाजी के आशीर्वाद के साथ लक्ष्य का दुसरा जन्म दिन    बेचारा जमींदार झेल रहा सर्दी और सरकार की मार    होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं    परण्या नाचण दे फागण मै काळजो बळ बळ गावे रे...    सोनू की जिद और नाहरगढ़ दर्शन,जयपुर    अब डॉट कॉम की जगह डॉट इन    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं    ये काटा वो मारा के साथ बगड़ की मकर-संक्रांति    नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनाएं, मालीगांव    मेरे बाप पहले आप( लक्ष्य का बाल हट )    कड़ाके दार सर्दी घने कोहरे के साथ,मालीगांव    सी.सी. सड़क का लोकार्पण करने पहुचे कांग्रेस राज्य मंत्री, बृजेन्द्र ओला,बगड़    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,बगड़ बाजार की रौनक के साथ    स्टेज की कला के समतुल्य हैं, सड़क की कला    जहां आज भी लोग समय निकालकर आते हैं, प्रसिद्ध रामलीला, बगड़    झांकी, नाचते- गाते किया विर्षजन,बगड़    जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं    प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी, बगड़    गणेश महोत्सव विसर्जन झांकी के मन मोहक दृश्य पीरामल गेट ,बगड़    एक शाम गणपति बप्पा के नाम पीरामल गेट बगड़    गणेश चतुर्थी महोत्सव शुरू, पीरामल गेट,बगड़    झिरी गांव की कहानी (दास्तां) रमेश फुलवारिया की जुबानी    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं    राखी का त्यौहार भाई बहन का प्यार    याराना यार का .......    किसानों ने उठाया अपना टूल (औजार) मालीगांव    क्या आप अपने कम्प्यूटर में यह कर सकते हैं ?..... कदापि नहीं    बस व स्कॉरपियो की जबरदस्त टक्कर,बगड़    पराक्रमी देशभक्त, शूरवीर, महाराणा प्रताप जयन्ती पर स्पेशल    कई सालों के बाद देखने को मिला ये साजसामान (भाड़ और भड़बुजा)कासिमपुरा, मालीगांव    मजदूर दिवस स्पेशल,बगड़    जाट्यां को ही कोनी मिनखा रो भी जीवणों दुबर होग्यो, कारण यो जीव (लट,कातरो)    दिनभर सड़कें रही सुनसान व दुकाने तरसी ग्राहक को कारण देखिए ?    होली की मस्ती और रंग गुलाल के संग फिर हम कैसे पिछे हटने वाले थे ? लक्ष्य    "हेलो आयो रे बाबा श्याम बुलायो रे" बाबा श्याम की मन मोहक झांकी ,बगड़    वेलेंटाईन्स डे की बधाईयां    खादी का बोलबाला (कर्त्तव्यनिष्ठ, निष्पक्ष, निस्वार्थ भाव से कार्य बनाम तबादला) यह है जनतंत्र    दुनिया में ऐसा भी होता है।    कोहरे के मौसम में , इन्हे भी नहाने के लिए गर्म पानी चाहिए    अब दस को बस 11 का स्वागत    सरसों की फसल और सर्दी परवान पर,मालीगांव    शेखावाटी में होने वाली शादीयों के विचित्र रिवाज    भूखे भक्तों को भगवान , भोजन कब पहुचाओगे    दीपावली की धूम की सजावट का अपना अपना नया अंदाज,बगड़    दीपक का प्रकाश हर पल आपके जीवन में एक नई रोशनी दे    घमसो मैया मन्दिर धौलपुर एक शेषनाग फनी पर्वत और प्राकृतिक झरने का अदभुत दृश्य स्थल    दो दिन से दलदल में फसी गाय को बचाकर हमने पुन्य प्राप्त किया लेकिन नगरपालिका बगड़ लापरवाह    रोडवेज बस चालक की सुजबुझ ने बचाई 30 सवारियों की जान    जितनी लम्बी सौर सुलभ हो उतने ही तो पग फैलाएं ( ज्वलन्त समस्या)    बगड़ की रामलीला का रंगमंच और चलचित्र    प्रसिद्ध हैं बगड़ की रामलीला, इसे देखकर क्या कहें?    मां भवानी के दरबार बगड़ में हुई आरती के विडियों और झुमते भक्त जन    जहां आकर मन को शान्ति मिले ,दुर्गाष्टमी पर बगड़ में सजा मां दुर्गे का दरबार    दिन दिन गिरता जा रहा शिक्षा का स्तर    कोई बड़ी बात नहीं है, भारत में    कभी फुरसत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना    जय मां नवदुर्गा सारा जग तेरे सहारे,तुझे मां मां पुकारे    चूहों की कुछ अनदेखी तस्वीरें.. फोटोग्राफर जीन लुइस क्लेन और मेरी हुबर्ट    ये लो आप भी हंस दिये, हंसो .. हंसो .. हसंना अच्छी बात है।    विचित्र प्रकार के हवा में उडने वाले सांप,हरे रंग के सांप    श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष में क्यों की जाती है, कौवे की मनुहार और आवभगत) ?    किसानों की उम्मीद पर फिरा पानी    बाजरे का एक पौधा जिसके 35 सिट्टे    प्राकृतिक छटाएं (दृश्य) जो मन को मोह ले    रंगारंग सांस्कृतिक भजन संध्या जिसने सबका मन मोह लिया    मन मोहक नजारा श्री गणेश चतुर्थी उत्सव पर सजाई गई मूर्तियां    गणपति बप्पा मौरया अबके बरस तूं जल्दी आ    ईद की शुभकामनाएं    रेगिस्तान का जहाज एक नये अंदाज में    जन्माष्टमी की हार्दिक बधाईयां    मेरे नये एगरीगेटर पर आपका स्वागत है।    अजब -गजब की चिज है स्वाद बेमिसाल    चुनाव परिणाम    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ    हर्ष उल्लास का पर्व तीज    चुनावी सरगम    मित्रता दिवस स्पेशल    सावन आया झुम के    पळका    चित्रकारी और शिल्प कला,का बेजोड़ नमूना बगड़ का मोती महल    इन दिनों रिज़ल्ट की साइट बन रही है औपरेटिंग सिस्टम और यूजर की जान का फंदा    अनूठी दुनियां के अनूठे लोग    क्रिकेट व आधुनिकरण ने ली आंचलिक (ग्रामीण ) खेलों की जान    झुन्झुनूं जिले का गौरव बढ़ाने का जज्बा    कुदरत का कमाल चूहे के कांटेदार बाल    तैन कुण कहवै री काळी,    10 करोड़ कण्ठां रमती मां भाषा राजस्थानी    राजस्थान रोड़वेज की लापरवाही कहें या भूल ?      

Friday, August 20, 2010

नया एगरीकेटर लक्ष्य




 मैने  आप सभी के आर्शीवाद व सहयोग से एक ब्लाग् एगरीकेटर बनाया है जिसका नाम है लक्ष्य  इस एगरीकेटर पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है। अगर आप चाहे तो इस पर अपने ब्लाग् को सबमिट कर सकते हैं सबमिट करने के लिए बस वहां पर लिखे एड माई ब्लॉग पर क्लिक करें और अपने ब्लॉग का यूआरएल भर दे और कन्टीन्यू पर क्लिक करके मांगी गई जानकारी भरकर अपना ब्लॉग इस एगरीकेटर पर जोड़ सकते है।


इस एगरीकेटर का मूल उद्देश्य है आप सभी के ब्लॉगों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना और  मातृ भाषा हिन्दी का प्रचार प्रसार करना।

आपसे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप इस एगरीकेटर पर अपने ब्लॉग को जरूर जोडेंगें और  ज्यादा से ज्यादा लोगें से मिलने का प्रयास भी जरूर करेंगें।
  आप यहा से भी अपने ब्लॉग को जोड़ सकते है। अभी जोड़ने के लिए क्लिक करें यहां


मालीगांव
 साया
आपकी पोस्ट यहा इस लिंक पर भी पर भी उपलब्ध है। देखने के लिए क्लिक करें
लक्ष्य


Thursday, August 12, 2010

हर्ष उल्लास का पर्व तीज

सबसे पहले मैं ब्लॉग जगत के सभी पाठको ब्लॉग स्वामियों को आज के त्यौहार तीज की हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहूंगा
आज अभी कुछ समय पहले ही इन्द्र भगवान भी  तीज के त्यौहार पर मेहरबान हुए और हमारी नगरी बगड़ में जोरदार वर्षा की ! ‘‘आम भाषा में तीज माता को नहलाकर तीज सुरगी बनाया’’
         यह त्यौहार सुख व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है इसलिए यह खुशी का त्यौहार व हर्ष उल्लास का का त्यौहार है। आज यह त्यौहार मात्र घर और अखबार के पन्नो पर ही सिमट कर रह गया है। बिल्कुल सुना सा लगता है आज यह त्यौहार है न कोई खुशी, न कोई मौज मस्ती, न झुले,न पिंग।  मुख्यतः लोग आज बस इसको अपना पेट भरने के लिए मनाते है। यानि घर में अच्छा खाना बना लिया और  तीज माता को भोग लगाया और गटक लिया मन गई तीज और वही रेलम पेल में मस्त काटने लगे अपनी जिन्दगी । हालाकि कुछ एक स्थानों जरूर इसे आज भी परम्परागत ढ़ग से मनाया जाता है,परन्तु वो बात कहा?
          अगर पुराने जमाने यानि आज से लगभग 8-10 वर्ष पूर्व को याद करें तो यह त्यौहार बहुत हर्ष हो उल्लास के साथ मनाया जाता था इस दिन बहन, बैटिया अपने अपने पीहर आ जाती थी और अपनी सखी सहेलियो से मिलती थी और गप-सप हांकती थी।
            सावन मास लगते ही बडे़- बडे़ वृक्षों की डालियों पर भारी-भारी रस्सों से झुले डाले जाते थें और बहन,बैटियां उन पर झुले झुलती थी और लोक गीत गाती थी बड़ा मनोरम दृश्य लगता था। जहां कही भी देखते वही डालियों पर झुले झुलते लोग दिखाई देते थे । लोगों में झुले झुलने (पींग) का कम्पीटीशन भी होता था झुला झुलने वाला कितनी उँचाई तक की पींग चढ़ा सकता है। कितना ऊंचा हिण्डा चढ़ा सकता है। दुसरा उससे भी ज्यादा चढ़ाने की कौशिस करता था बड़ा मजा आता था जगह जगह तीज माजा की सवारिया निकाली जाती थी       
             आज बस अखबार के एक छोटे से कौन में तीज सवारी का समाचार पढ़कर ही बस लोग तीज मना लेते है और सवारी में घर बैठे ही शामिल हो जाते है। ये कैसी विडम्बना है। मुझे तो लगता है ऐसे करते करते  ये हमारे त्यौहार लुप्त ही हो जायेगें? आज जब देखते है तो पार्को में लगे फ़िक्स झुलों के अलावा कही कोई झुला डला नजर नहीं आता है।  कहा गये वों झुला कम्पीटीशन करने वाले लोग, कहा गई वो मौज मस्ती कहा गये वो खुशी के दिन ? ये तो आप बुद्धिजीवी लोग ही बता सकते है।
 गणगौर पर्व के बाद 3-4 माह बाद यही त्यौहार आता है जो सब त्यौहार के आने का रास्ता साफ करता है इसके बारे में एक राजस्थानी कहावत भी है -

 ‘‘तीज त्यौहारा बावड़ी, ले डूबी गणगौर ’’  
       अर्थात गणगौर के डुबोने या गणगौर पर्व के कई दिनों के बाद तीज त्यौहार ही पहला त्यौहार आता है जो अन्य त्यौहारों के आने की सुचना व खुशीया हमें देता है।
   शायद लोगो की भावनाओं को समझकर ही सावन मास में निकलने वाली लाल रंग का जीव तीज जो अक्सर प्रायः जमीन पर चलता दिखाई दिया करता था आज लुप्त प्रायः सा हो गया है इसलिए मैं उसकी फोटो आपके समक्ष नहीं रख पाऊगां
      यह जीव बहुत ही कोमल होता है। और इतना मनभावन लाल रंग का होता है जमीन पर चलता बहुत ही अच्छा लगता आप ने इसे जरूर देखा होगा शायद यह त्यौहार इसी जीव के उपर मनाया ताजा है। इस त्यौहार के मनाने के बारे में  तो मैं ज्यादा नहीं बता पाऊगा


 चुनावी सरगम
author

This post was written by:

Surendra Singh bhamboo

Get Free Email Updates to your Inbox!