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Friday, December 31, 2010

नव वर्ष की शुभकामनाएं


सभी पाठको,देशवासियों,  ब्लॉगर मालिको व सभी के परिवार जनों को साया संस्था की तरफ से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए  यह वर्ष 2011 आपके जीवन में नई उमंगें, खुशिया लेकर आये तथा देश में अमन व शान्ति बनी रहे, इन्ही शुभकामनाओं के साथ सभी को नव वर्ष मुबारक हो







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आपके पढ़ने लायक यहां भी है।


मालीगांव -- शेखावाटी में होने वाली शादीयों के विचित्र रिवाज

 मालीगांव ----  सरसों की फसल और सर्दी परवान पर,मालीगांव

जितनी लम्बी सौर सुलभ हो उतने ही तो पग फैलाएं ( ज्वलन्त समस्या)

बहुत उपयोगी है सहजन का पेड़-various use of drumstick tree

मालीगांव

लक्ष्य







Friday, November 5, 2010

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

दीपक का प्रकाश हर पल आपके जीवन में एक नई रोशनी दे, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आपको आपके परिवार सहित दीपावली की हार्दिक बधाईयां


इसे आप मेरी दुकान की तरफ से दीपावली ग्रीटिंग कार्ड  ही समझना
मेरे व मेरी दुकान श्री नेशनल कम्प्यूटर आर्ट एण्ड डिजीटल लैब की तरफ से भी आपको दिपावली की हार्दिक बधाईयां









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आपके पढ़ने लायक यहां भी है।

दीपावली की धूम की सजावट का अपना अपना नया अंदाज,बगड़

दो दिन से दलदल में फसी गाय को बचाकर हमने पुन्य प्राप्त किया लेकिन नगरपालिका बगड़ लापरवाह

 रोडवेज बस चालक की सुजबुझ ने बचाई 30 सवारियों की जान

जितनी लम्बी सौर सुलभ हो उतने ही तो पग फैलाएं ( ज्वलन्त समस्या)

 साया :- जय मां पहाड़ा वाली जय मां शेरा वाली कर दे कोई चमत्कार,सारा जग माने तेरा उपकार

मेरी शेखावाटी - : शेखावाटी से जुड़े हुए हिन्दी ब्लोगर (परिचय )

मालीगांव
लक्ष्य

Wednesday, October 27, 2010

खेल प्रतियोगिता का आयोजन

‘‘साया’’संस्था द्वारा खेल प्रतियोगिता का आयोजन  किया जा रहा है।

    ‘‘साया’’ संस्था की खेल ईकाई ‘खेल मण्डल कासिमपुरा’ द्वारा दिनांक 29.10.10 को ग्राम कासिमपुरा खेल मैदान में चेलेन्जर क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है खेलमण्डल के क्रिड़ा सचिव अनिल फोगाट ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रतियोगिता में विजेता टीम को 5100-रू नगद व ट्राफी  प्रदान की जायेगी तथा उप विजेता टीम को 2100- रू व ट्राफी से नवाजा जावेगा। उद्यघाटन  मैच प्रातः 8 बजे कासिमपुरा खेल स्कूल मैदान पर होगा। इस मैच के उदघाटन मैच की अध्यक्षता श्रीमान अरविन्द चावला (पंचायत समिति सदस्य कासिमपुरा व अध्यक्ष साया संस्था) करेंगे तथा मुख्य अतिथि (समाज सेवी युवा नेता) श्रीमान दिनेश फोगाट होगें ।यह मैच 29/10/10 से शुरू होकर 4/11/10 तक चलेगा


आपके पढ़ने लायक यहां भी है।

मालीगांव-दिन दिन गिरता जा रहा शिक्षा का स्तर

मालीगांव- दो दिन से दलदल में फसी गाय को बचाकर हमने पुन्य प्राप्त किया लेकिन नगरपालिका बगड़ लापरवाह

मालीगांव जितनी लम्बी सौर सुलभ हो उतने ही तो पग फैलाएं ( ज्वलन्त समस्या)

 मालीगांव - रोडवेज बस चालक की सुजबुझ ने बचाई 30 सवारियों की जान

मेरी शेखावाटी - : शेखावाटी से जुड़े हुए हिन्दी ब्लोगर (परिचय )

मालीगांव

लक्ष्य

Saturday, October 9, 2010

जय मां पहाड़ा वाली जय मां शेरा वाली कर दे कोई चमत्कार,सारा जग माने तेरा उपकार

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता । 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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आप सभी पाठकों को और उनके परिवार वालों को मां दुर्गा का असीम अपार परम स्नेह हमेशा मिलता रहें यही मेरी माता से कामना है। माता रानी आपके अन्न धन के भण्डार सदैव ही भरे रखे।
साया परिवार की तरफ से आप सभी को नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
 
 

आपके पढ़ने लायक यहां भी है।

मालीगांव :- कभी फुरसत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना

 मालीगांव :-ये लो आप भी हंस दिये, हंसो .. हंसो .. हसंना अच्छी ... 

मालीगांव :- जय मां नवदुर्गा सारा जग तेरे सहारे,तुझे मां मां पुकारे

 मेरी शेखावाटी :-एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती

मालीगांव
लक्ष्य

 

Friday, September 24, 2010

किसानों की उम्मीद पर फिरा पानी (फसल बर्बाद)


इस बार इन्द्र भगवान इस तरह मेहरबान हुए कि अपने पिटारे (बारिश) को रोकने का नाम ही नहीं ले रहें है। इसका खामियाजा बेचारे जमीदार वर्ग (किसानों) को भुगतना पड़ रहा है।  उनकी मूंग, ग्वार (मोटे अनाज) की फसल तो पहले ही खराब कर चुका है। अब बाकि बची किसानों की आस बाजरे को भी गला,सड़ा दिया है।







उगे हुए तथा गले सड़े बाजरें के सिट्टे जैसे फोटों में दिखाये गये है। जिन लोगों ने  काट लिया है। उनके तो सिट्टे गल सड़ गये है। और जिन्होंने नहीं काटा है। उनके खडे पौधे  पर ही सिट्टे में नया बाजरा उगने लगा हे। आब बेचारे करें भी तो क्या लगातार बरसता पानी  और पकी खड़ी फसल सर पर करे तो क्या करे? सिवाय भगवान को कोसने के कुछ कर भी तो नहीं सकते है। हालांकि अबकी बार फसल की लगत बहुत अच्छी थी और पैदावार भी अच्छी हुई थी लेकिन यह तो वही बात हुई ‘‘ थाली में परोसने के बाद हाथ से निवाला छिन लिया’’ भगवान ने । किसान बेचारे जिनकी आस यह बाजरा और इसकी कड़की (पुले) थे बाजरा तो खराब हुआ ही हुआ कड़बी भी गल गई




यह बाजरा न तो खाने लायक रहा और न ही इसे पशु खा पायेगें  यह हाल हमारें यहा के आस पास सभी गांवों में है। लगता है इससे महगाई और भी बढेगी परन्तु कर भी क्या सकते है। यह तो प्रकृति है। देती है तो छप्पर फाड़ के देती हे। और लेती हैं तो भी छप्पर फाड़ के लेती है। देवा रे देवा....



सबसे ज्यादा समस्या कड़बी गलने से पशुओं के चारे की हो सकती है। अगर अब यह बारिश न थमी तो पशुओं के चारे के भी लाले पड़ जायेगे।
एक बात और है। इस खराब हुए बाजरे को काटने के लिए लोगों को मजदूरी और उपर से देनी पड रही है। और हाथ कुछ नहीं लगने वाला



ये जो सिट्टे दिखाये गये है। इनमें सिट्टे में ही बाजरा दुबारा उग आया है। और सिट्टा गलने लगा है। अब इसी आशा के साथ बैठे हैं बेचारे किसान कि कब मेघा रुके और कब पशुओं के लिए तो चारा बटोरना है।



सिट्टे में उगा नया बाजरा
  किसी भी फोटो  को बड़ा करके देखने के लिए  उस पर डबल क्लिक करें



आपके पढ़ने लायक यहां भी है।



प्राकृतिक छटाएं (दृश्य) जो मन को मोह ले



रंगारंग सांस्कृतिक भजन संध्या जिसने सबका मन मोह लिया



पत्थरी के रोग में बहुत उपयोगी है गोखरू



मालीगांव
लक्ष्य



 



 





Saturday, September 11, 2010

गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक बधाईयां

सभी पाठकों तथा उनके  परिवार वालो  को गणेश चतुर्थी और ईद के पावन पर्व की हार्दिक बधाईयां






बधाईयां







Ganesh Chaturthi
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बधाईयां


ईद की शुभकामनाएं

रेगिस्तान का जहाज एक नये अंदाज में

 लक्ष्य

Friday, August 20, 2010

नया एगरीकेटर लक्ष्य




 मैने  आप सभी के आर्शीवाद व सहयोग से एक ब्लाग् एगरीकेटर बनाया है जिसका नाम है लक्ष्य  इस एगरीकेटर पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है। अगर आप चाहे तो इस पर अपने ब्लाग् को सबमिट कर सकते हैं सबमिट करने के लिए बस वहां पर लिखे एड माई ब्लॉग पर क्लिक करें और अपने ब्लॉग का यूआरएल भर दे और कन्टीन्यू पर क्लिक करके मांगी गई जानकारी भरकर अपना ब्लॉग इस एगरीकेटर पर जोड़ सकते है।


इस एगरीकेटर का मूल उद्देश्य है आप सभी के ब्लॉगों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना और  मातृ भाषा हिन्दी का प्रचार प्रसार करना।

आपसे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप इस एगरीकेटर पर अपने ब्लॉग को जरूर जोडेंगें और  ज्यादा से ज्यादा लोगें से मिलने का प्रयास भी जरूर करेंगें।
  आप यहा से भी अपने ब्लॉग को जोड़ सकते है। अभी जोड़ने के लिए क्लिक करें यहां


मालीगांव
 साया
आपकी पोस्ट यहा इस लिंक पर भी पर भी उपलब्ध है। देखने के लिए क्लिक करें
लक्ष्य


Thursday, August 12, 2010

हर्ष उल्लास का पर्व तीज

सबसे पहले मैं ब्लॉग जगत के सभी पाठको ब्लॉग स्वामियों को आज के त्यौहार तीज की हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहूंगा
आज अभी कुछ समय पहले ही इन्द्र भगवान भी  तीज के त्यौहार पर मेहरबान हुए और हमारी नगरी बगड़ में जोरदार वर्षा की ! ‘‘आम भाषा में तीज माता को नहलाकर तीज सुरगी बनाया’’
         यह त्यौहार सुख व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है इसलिए यह खुशी का त्यौहार व हर्ष उल्लास का का त्यौहार है। आज यह त्यौहार मात्र घर और अखबार के पन्नो पर ही सिमट कर रह गया है। बिल्कुल सुना सा लगता है आज यह त्यौहार है न कोई खुशी, न कोई मौज मस्ती, न झुले,न पिंग।  मुख्यतः लोग आज बस इसको अपना पेट भरने के लिए मनाते है। यानि घर में अच्छा खाना बना लिया और  तीज माता को भोग लगाया और गटक लिया मन गई तीज और वही रेलम पेल में मस्त काटने लगे अपनी जिन्दगी । हालाकि कुछ एक स्थानों जरूर इसे आज भी परम्परागत ढ़ग से मनाया जाता है,परन्तु वो बात कहा?
          अगर पुराने जमाने यानि आज से लगभग 8-10 वर्ष पूर्व को याद करें तो यह त्यौहार बहुत हर्ष हो उल्लास के साथ मनाया जाता था इस दिन बहन, बैटिया अपने अपने पीहर आ जाती थी और अपनी सखी सहेलियो से मिलती थी और गप-सप हांकती थी।
            सावन मास लगते ही बडे़- बडे़ वृक्षों की डालियों पर भारी-भारी रस्सों से झुले डाले जाते थें और बहन,बैटियां उन पर झुले झुलती थी और लोक गीत गाती थी बड़ा मनोरम दृश्य लगता था। जहां कही भी देखते वही डालियों पर झुले झुलते लोग दिखाई देते थे । लोगों में झुले झुलने (पींग) का कम्पीटीशन भी होता था झुला झुलने वाला कितनी उँचाई तक की पींग चढ़ा सकता है। कितना ऊंचा हिण्डा चढ़ा सकता है। दुसरा उससे भी ज्यादा चढ़ाने की कौशिस करता था बड़ा मजा आता था जगह जगह तीज माजा की सवारिया निकाली जाती थी       
             आज बस अखबार के एक छोटे से कौन में तीज सवारी का समाचार पढ़कर ही बस लोग तीज मना लेते है और सवारी में घर बैठे ही शामिल हो जाते है। ये कैसी विडम्बना है। मुझे तो लगता है ऐसे करते करते  ये हमारे त्यौहार लुप्त ही हो जायेगें? आज जब देखते है तो पार्को में लगे फ़िक्स झुलों के अलावा कही कोई झुला डला नजर नहीं आता है।  कहा गये वों झुला कम्पीटीशन करने वाले लोग, कहा गई वो मौज मस्ती कहा गये वो खुशी के दिन ? ये तो आप बुद्धिजीवी लोग ही बता सकते है।
 गणगौर पर्व के बाद 3-4 माह बाद यही त्यौहार आता है जो सब त्यौहार के आने का रास्ता साफ करता है इसके बारे में एक राजस्थानी कहावत भी है -

 ‘‘तीज त्यौहारा बावड़ी, ले डूबी गणगौर ’’  
       अर्थात गणगौर के डुबोने या गणगौर पर्व के कई दिनों के बाद तीज त्यौहार ही पहला त्यौहार आता है जो अन्य त्यौहारों के आने की सुचना व खुशीया हमें देता है।
   शायद लोगो की भावनाओं को समझकर ही सावन मास में निकलने वाली लाल रंग का जीव तीज जो अक्सर प्रायः जमीन पर चलता दिखाई दिया करता था आज लुप्त प्रायः सा हो गया है इसलिए मैं उसकी फोटो आपके समक्ष नहीं रख पाऊगां
      यह जीव बहुत ही कोमल होता है। और इतना मनभावन लाल रंग का होता है जमीन पर चलता बहुत ही अच्छा लगता आप ने इसे जरूर देखा होगा शायद यह त्यौहार इसी जीव के उपर मनाया ताजा है। इस त्यौहार के मनाने के बारे में  तो मैं ज्यादा नहीं बता पाऊगा


 चुनावी सरगम

Wednesday, June 30, 2010

786 के अंको का अनूठा संग्रह

786 के अंको का अनूठा संग्रह

786 नम्बरों वाले नोटों का संग्रह
                 दुनिया रचने वाले व दुनिया में गुजर बसर करने वालों का शोख भी ला जवाब है। जिस तरह सृष्टि के रचयिता ने 84 लाख भांति भांति के जीव जन्तु,पशु पक्षी,मानव,नदी पहाड़ जंगल आदि की रचना की है। उसी प्रकार दुनिया वालों की शोख भी भिन्न- भिन्न बनाये है। कोई खाने पाने में मस्त है कोई धन कमाने में-जोड़ने में व अपनी मोटर कार,बंगले में मस्त, कोई चोरी जुआ,इश्क़ मुहब्बत में मस्त है। ऐसा ही एक उदाहरण है बगड़ कस्बे में जो झुन्झुनूं जिले से 15 कि.मी पूर्व में पड़ता है  बगड़ कस्बे के मण्ड्रेला रोड़,जाटाबास में रहने वाले रमेश फुलवारिया का है जो एक सरकारी पद पर शिक्षक है।
                 रमे फुलवारिया का शोख कब आदत में बदल गया उन्हें खुद पता नहीं। जब वह छोटा था तब अपनी दादीजी के पास रहकर बगड़ में पढ़ाई करता था उसका बाकी परिवार मुंबई रहता था एक बार उसके पापा मुंबई जा रहे थे। तब उन्होंने उसे एक 10 रुपये का नोट दिया और कहा इस पर खुदा के अंक लिखे  है इसे सम्हाल कर रखना यह मुसीबत में तुम्हारे काम आयेगा इस नोट के अन्तिम अंक 786 थे बड़े ही भोलेपन से रमेश कहते है। हमें तो उस समय कहीं खुदा के अक्सर नजर नहीं आये। जैसा हमारे पापा जी ने कहा हमने मान लिया। हमारे मन में एक बार सवाल भी  उठा की सिर्फ नम्बर ही क्यों लिखते है पुरा नाम क्यों नहीं? मान्यता के मुताबिक जब ‘‘बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम’’ लिखते है तो उसका जोड़ 786 होता है। इसलिए ऐसी जगहों पर जैसे घर दप्तर के दरवाजे आदि पर जहां खुदा का नाम लिखना बेअदबी माना जाता है, वहां यहीं अंक 786 लिखा जाता है। बस इसके बाद तो मेरा शोख बढ़ता हुआ कब आदत में बदल गया यह खुद को भी नहीं पता है।
सो रूपये के व अन्य नोटों  जिनके नम्बर 786 है उनका संग्रह
               रमेश फुलवारिया ने बताया कि एक दिन मैं स्कूल गया था पिछे  से मेरी दादीजी ने मेरे इकट्ठे किये गये 786 अंक वाले नोटों से अनजाने में राशन का सामान ले आई और जब मैं दोड़कर राशन की दुकान पर पहुंचा तब तक वो नोट दूसरे ग्राहक को दिये जा चुके थे। तब मुझे बहुत गहरा दुख हुआ और अहसास हुआ कि नोटों को सहेजने के साथ-2 सुरक्षित रखना भी बड़ी जिम्मेदारी है उसके बाद भी फुलवारिया ने हार नहीं मानी तथा इरादे और भी ज्यादा बुलन्द हो गये जो भी नोट हाथ में आता अंको पर नजर पहले जाती और नोटों को सहेजना शुरू कर दिया शुरूआत में तो घर वाले आस पास के लोग और दोस्त इसे इनका पागलपन समझ कर उन पर हंसते थे लेकिन बाद मे वे भी इस तरह के नोट इक्ट्ठा करके उन्हें देने लगे। इस तरह धीरे धीरे उनके पास इन नोटों का संग्रह होने लगा। आज उनके खजाने में 786 अंक के एक,दो,पांच,दस,,बीस,पचास,सौ,पांच सौ,हजार रूपये नोट शामिल है।
बस टिकट व नोटों के संग्रह के साथ रमेश
              फुलवारिया को अब तो नोटों का ही नहीं 786 के अंको वाले रेल टिकट,बस टिकट,रसीद, बिल आदि का भी संग्रह करने लगा है।
               फुलवारिया को किसी विशेष चीजों का संग्रह करने की आदत बचपन से ही थी। वह बचपन में रंग बिरंगे पंख,कांच की गोली, एक ही टाईटल के गाने,बटन,शायरी, विचित्र प्रकार के पत्थर के टुकडों का संग्रह रखता था। 1998 में  अलग जगहों के पहाडों से इकट्ठे किये गये पत्थरों का संग्रह आज भी बी.एल.  सीनियर सैकण्डरी स्कूल की कृषि विज्ञान की प्रयोग शाला में प्रोजेक्ट के रूप में रखे है। जो अन्य विद्यार्थियों को भी ऐसी दुर्लभ वस्तुओं को संग्रहीत करने के प्रेरित करते है।
               मैं और मेरा दोस्त फुलवारिया आप से भी अनुरोध करते हैं अगर आपको भी अगर कोई ऐसी दुर्लभ वस्तु या पुराने सिक्के या कोई विचित्र वस्तु मिले या प्राप्त हो तो उसे सहेजे या हमें हमारे पते पर भिजवा दे। संगह करना एक अच्छी आदत है।
Ramesh Kumar Fulwariya
 रमेश फुलवारिया का परिचय -
 नाम --  रमेश कुमार (अध्यापक)
योग्यता - बी.एस सी., 

एम.एस सी.,एम.ए.,एम.सी.ए.
पी.जी.डी.सी.ए. .पी.जी.डी.सी.ए.,डी.आई.टी.,बी.एड
पदाधिकारी -
1.    कोषाध्यक्ष - मन्दिर स्वामी खेतादास समिति लोहार्गल,जिला झुन्झूनूं
2.    सचिव - मां सरस्वती चिल्ड्रन एकेडमी शिक्षण संस्थान बगड़,

                    जिला झुन्झुनूं
3.    संरक्षक  -  रैगर समाज समिति बगड़,जिला झुन्झुनूं
4.    पूर्व विज्ञान सचिव सेठ मोतीलाल (पी.जी) कॉलेज झुन्झुनूं
         पता - मण्ड्रेला रोड़,जाटाबास,पोस्ट-बगड़
          जिला झुन्झुनूं (राज.)
          मो. 08955263800

             E mail - ramesh_fulwariya@yahoo.com

तूं के बणणो चावै है? 

Tuesday, June 29, 2010

Social Acadmic Activites & Youth Avarnesh Sosaites

मेरे नये ब्लॉग में आपका सभी का स्वागत हैं यह मेरा एक एन.जी.ओ. है। मै जिसका कोषाध्यक्ष हूं आगे की पोस्टों में मैं इसके कार्यो व इसके पदाधिकारियों का और इस एन.जी. ओ. की गतिविधियों के बारे में आपको समय समय पर बताता रहूंगा मुझे आशा है आप मुझे सहयोग देते रहेंगे।
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This post was written by:

Surendra Singh bhamboo

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