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786 नम्बरों वाले नोटों का संग्रह |
रमेश फुलवारिया का शोख कब आदत में बदल गया उन्हें खुद पता नहीं। जब वह छोटा था तब अपनी दादीजी के पास रहकर बगड़ में पढ़ाई करता था उसका बाकी परिवार मुंबई रहता था एक बार उसके पापा मुंबई जा रहे थे। तब उन्होंने उसे एक 10 रुपये का नोट दिया और कहा इस पर खुदा के अंक लिखे है इसे सम्हाल कर रखना यह मुसीबत में तुम्हारे काम आयेगा इस नोट के अन्तिम अंक 786 थे बड़े ही भोलेपन से रमेश कहते है। हमें तो उस समय कहीं खुदा के अक्सर नजर नहीं आये। जैसा हमारे पापा जी ने कहा हमने मान लिया। हमारे मन में एक बार सवाल भी उठा की सिर्फ नम्बर ही क्यों लिखते है पुरा नाम क्यों नहीं? मान्यता के मुताबिक जब ‘‘बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम’’ लिखते है तो उसका जोड़ 786 होता है। इसलिए ऐसी जगहों पर जैसे घर दप्तर के दरवाजे आदि पर जहां खुदा का नाम लिखना बेअदबी माना जाता है, वहां यहीं अंक 786 लिखा जाता है। बस इसके बाद तो मेरा शोख बढ़ता हुआ कब आदत में बदल गया यह खुद को भी नहीं पता है।
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सो रूपये के व अन्य नोटों जिनके नम्बर 786 है उनका संग्रह |
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बस टिकट व नोटों के संग्रह के साथ रमेश |
फुलवारिया को किसी विशेष चीजों का संग्रह करने की आदत बचपन से ही थी। वह बचपन में रंग बिरंगे पंख,कांच की गोली, एक ही टाईटल के गाने,बटन,शायरी, विचित्र प्रकार के पत्थर के टुकडों का संग्रह रखता था। 1998 में अलग जगहों के पहाडों से इकट्ठे किये गये पत्थरों का संग्रह आज भी बी.एल. सीनियर सैकण्डरी स्कूल की कृषि विज्ञान की प्रयोग शाला में प्रोजेक्ट के रूप में रखे है। जो अन्य विद्यार्थियों को भी ऐसी दुर्लभ वस्तुओं को संग्रहीत करने के प्रेरित करते है।
मैं और मेरा दोस्त फुलवारिया आप से भी अनुरोध करते हैं अगर आपको भी अगर कोई ऐसी दुर्लभ वस्तु या पुराने सिक्के या कोई विचित्र वस्तु मिले या प्राप्त हो तो उसे सहेजे या हमें हमारे पते पर भिजवा दे। संगह करना एक अच्छी आदत है।
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Ramesh Kumar Fulwariya |
नाम -- रमेश कुमार (अध्यापक)
योग्यता - बी.एस सी.,
एम.एस सी.,एम.ए.,एम.सी.ए.
पी.जी.डी.सी.ए. .पी.जी.डी.सी.ए.,डी.आई.टी.,बी.एड
पदाधिकारी -
1. कोषाध्यक्ष - मन्दिर स्वामी खेतादास समिति लोहार्गल,जिला झुन्झूनूं
2. सचिव - मां सरस्वती चिल्ड्रन एकेडमी शिक्षण संस्थान बगड़,
जिला झुन्झुनूं
3. संरक्षक - रैगर समाज समिति बगड़,जिला झुन्झुनूं
4. पूर्व विज्ञान सचिव सेठ मोतीलाल (पी.जी) कॉलेज झुन्झुनूं
पता - मण्ड्रेला रोड़,जाटाबास,पोस्ट-बगड़
जिला झुन्झुनूं (राज.)
मो. 08955263800
E mail - ramesh_fulwariya@yahoo.com
तूं के बणणो चावै है?
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ReplyDeleteजिन्दा लोगों की तलाश!
ReplyDeleteमर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
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http://baasindia.blogspot.com/
http://presspalika.blogspot.com/
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
अच्छा लगा आपका ब्लॉग, हिंदी में लेखन के लिए बधाई।
ReplyDeleteआपकी रचना से अच्छी जानकारी मिली।
आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है!
आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। अपनी लेखनी यूं ही जारी रखें। चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है।
ReplyDeleteब्लागिंग के अलावा आप बिना किसी निवेश के घर बैठे रोज 10-15 मिनट में इंटरनेट के जरिए विज्ञापन और खबरें देख कर तथा रोचक क्विज में भाग लेकर ऊपरी आमदनी भी कर सकते हैं। इच्छा हो तो यहां पधारें-
http://gharkibaaten.blogspot.com
इस चिट्ठे के साथ हिंदी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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